Wednesday 20 July 2016



"हमसफ़र "

आज कुछ दोस्तों की तस्वीर देखी ,
कभी ज्ञान प्राप्ति के मार्ग में हमसफ़र थे 

बहुत सीखा है  मैंने इनसे 
बहुत कुछ देखा  मैंने इनमे 
गौरव का सदैव प्रसन्न  रहना 
हाकिम का होसला बढ़ाना 
लव का दोस्ताना व्यव्हार 
हरप्रीत में  सबका प्रिय होना 
अमित की समझ 
रोाहंत और ज्ञाता का आत्मविशवास 
अंकित का मसखरापन 
मनीष का जूनून 

सब दिल में बसते हो 
सदैव प्रेमपूर्ण  रहना  
यही आशीष है । 



|| दोस्ती  दिवस ||


हमने दर्द में भी तुम्हारा साथ निभाया । 

कुछ दर्द अपने दिल में हमारे लिए भी रख लो ।।  

दोस्ती का विज्ञानं.... 
दोस्ती सबसे कच्चा धागा  । 
पर सबसे  मजबूत आकर्षण ।। 

 कहते है ,जीवन बहुआयामी है ,   सही  है !
परन्तु जहा जीवन के   सारे आयाम  मिलते है । 
 उसे दोस्ती कहते है । ॥ 


Thursday 14 July 2016

पीछे !!!!!  मुड़ 
बहुत  कुछ खरीद लिया इस बाजार से ,
नए मोबाइल ,नयी टी वी ,नयी कार 
नया घर !
किश्ते चुका दी बहुत 
अब रिश्तों की बारी है ,
कुछ हाथ थामने  है 
किसी के आंसू पोछने है ,
किसी के कंधे पर सर 
रखकर रोना है 
मुस्कुराहट बाँटना है ,
अपने दिल को हल्का करना है ,
यह सब बाजार में  नहीं ,
लोगो के दिल में मिलेगा । 
Photograph: Prabhu Parmar



Saturday 28 May 2016

"सयुंक्त परिवार "

 यदि संसार से तनाव कम करना है 

ब्लड प्रेशर संतुलित  करना है ,

अवसाद कम करना है ,

ह्रदय रोग कम करना है ,

उत्साह बढ़ाना है ,

दिन प्रतिदिन उत्सव मानना है ,

अपनापन बढ़ाना  है ,

बच्चों  को आत्मविश्वास देना है ,

बुजुर्गो का खालीपन हटाना  है,

तो सयुंक्त परिवार बनाने होंगे ,

थोड़े जागकर सोचो ,

जीते जी स्वर्ग बनाया जा सकता है ,

स्वर्ग   के लिए प्रयास नहीं करना पड़ता 

बस अहंकार को गिरना होता है ,

वसुधैव कुटुम्बकम् वरदान है ईश्वर का 

बस थोड़ा जागकर उसे समझना  होगा ।

Photograph:Prabhu Parmar

Thursday 5 May 2016

"समस्या "
जब विद्यालय खुले थे ,तब उम्मीद जागी  थी 
कि अब  बारिश हो या न हो,फसल जरूर उगेगी ,

तलाब, नदियों और जमीन  में पानी  हो या ना  हो ,

नलों मे पानी जरूर आएगा ,पेट्रोल जमीन मे  हो या न हो ,
वाहन जरूर चलेंगे , हर रोज बिजली होगी 
हर रोज जीवन महत्वपूर्ण होगा। 

समस्या समस्या न होकर चुनौती होगी 
पर यह क्या !
जब से  विद्यालय बड़े ,  किताबें बड़ी 
 स्टेशनरी  बड़ी , कचरा  भी   बड़ा ,
किसान आत्महत्या करने लगे ,
लोग भूख से मरने लगे ,पानी  पेट्रोल से महँगा  
और पेट्रोल खून से ,महँगा हो गया ,
बिजली अब आस बनकर रह गयी ,
नक्सलवाद बड़ा ,आंतकवाद बड़ा 
और  साथ ही साथ
किताबें भी बड़ी और विद्यालय भी बड़े  
और डिग्री भी बड़ी ।






"क्यों "

क्यों बैचैन  है ,यहाँ सब 
 भाग रहे है,बेहताशा दौड़  रहे है ,

धक्कामुक्की कर रहे है ,छीनाझपटी हो रही है है ,
 झूठ बोल रहे है ,धोखा दे रहे है ,

दुनिया  दो वर्गों में विभाजित हो गई 
शोषण करने वाले और शोषित होने वाले 
शोषण करने वाले सोचते है ,लोग नासमझ  है ,भोले  है 
वे नहीं जानते भरोसा ,प्रेम,आशा
इन नासमझो के कारण ही संसार  में  जिन्दा है । 

ध्यान से देखो इस बार ईश्वर इन मेहनतकश
 लोगो के चेहरे की शांति ,भरोसा और प्रेम 
बनकर अवतरित हुआ है ।