Thursday 5 May 2016

"समस्या "
जब विद्यालय खुले थे ,तब उम्मीद जागी  थी 
कि अब  बारिश हो या न हो,फसल जरूर उगेगी ,

तलाब, नदियों और जमीन  में पानी  हो या ना  हो ,

नलों मे पानी जरूर आएगा ,पेट्रोल जमीन मे  हो या न हो ,
वाहन जरूर चलेंगे , हर रोज बिजली होगी 
हर रोज जीवन महत्वपूर्ण होगा। 

समस्या समस्या न होकर चुनौती होगी 
पर यह क्या !
जब से  विद्यालय बड़े ,  किताबें बड़ी 
 स्टेशनरी  बड़ी , कचरा  भी   बड़ा ,
किसान आत्महत्या करने लगे ,
लोग भूख से मरने लगे ,पानी  पेट्रोल से महँगा  
और पेट्रोल खून से ,महँगा हो गया ,
बिजली अब आस बनकर रह गयी ,
नक्सलवाद बड़ा ,आंतकवाद बड़ा 
और  साथ ही साथ
किताबें भी बड़ी और विद्यालय भी बड़े  
और डिग्री भी बड़ी ।






No comments:

Post a Comment