Saturday 28 May 2016

"सयुंक्त परिवार "

 यदि संसार से तनाव कम करना है 

ब्लड प्रेशर संतुलित  करना है ,

अवसाद कम करना है ,

ह्रदय रोग कम करना है ,

उत्साह बढ़ाना है ,

दिन प्रतिदिन उत्सव मानना है ,

अपनापन बढ़ाना  है ,

बच्चों  को आत्मविश्वास देना है ,

बुजुर्गो का खालीपन हटाना  है,

तो सयुंक्त परिवार बनाने होंगे ,

थोड़े जागकर सोचो ,

जीते जी स्वर्ग बनाया जा सकता है ,

स्वर्ग   के लिए प्रयास नहीं करना पड़ता 

बस अहंकार को गिरना होता है ,

वसुधैव कुटुम्बकम् वरदान है ईश्वर का 

बस थोड़ा जागकर उसे समझना  होगा ।

Photograph:Prabhu Parmar

Thursday 5 May 2016

"समस्या "
जब विद्यालय खुले थे ,तब उम्मीद जागी  थी 
कि अब  बारिश हो या न हो,फसल जरूर उगेगी ,

तलाब, नदियों और जमीन  में पानी  हो या ना  हो ,

नलों मे पानी जरूर आएगा ,पेट्रोल जमीन मे  हो या न हो ,
वाहन जरूर चलेंगे , हर रोज बिजली होगी 
हर रोज जीवन महत्वपूर्ण होगा। 

समस्या समस्या न होकर चुनौती होगी 
पर यह क्या !
जब से  विद्यालय बड़े ,  किताबें बड़ी 
 स्टेशनरी  बड़ी , कचरा  भी   बड़ा ,
किसान आत्महत्या करने लगे ,
लोग भूख से मरने लगे ,पानी  पेट्रोल से महँगा  
और पेट्रोल खून से ,महँगा हो गया ,
बिजली अब आस बनकर रह गयी ,
नक्सलवाद बड़ा ,आंतकवाद बड़ा 
और  साथ ही साथ
किताबें भी बड़ी और विद्यालय भी बड़े  
और डिग्री भी बड़ी ।






"क्यों "

क्यों बैचैन  है ,यहाँ सब 
 भाग रहे है,बेहताशा दौड़  रहे है ,

धक्कामुक्की कर रहे है ,छीनाझपटी हो रही है है ,
 झूठ बोल रहे है ,धोखा दे रहे है ,

दुनिया  दो वर्गों में विभाजित हो गई 
शोषण करने वाले और शोषित होने वाले 
शोषण करने वाले सोचते है ,लोग नासमझ  है ,भोले  है 
वे नहीं जानते भरोसा ,प्रेम,आशा
इन नासमझो के कारण ही संसार  में  जिन्दा है । 

ध्यान से देखो इस बार ईश्वर इन मेहनतकश
 लोगो के चेहरे की शांति ,भरोसा और प्रेम 
बनकर अवतरित हुआ है ।