Monday 26 October 2015


"विरोध और समर्थन"


समर्थन और विरोध निजी होते है
यह व्यक्ति की समाझदरी और मूर्खता
पर  निर्भर करता है  

सुकरात दृढ़ थे 
की जो गलत है वो गलत है 
उसे सही क्यों मानो
और विष पि गए 

अरस्तु थोड़े लचीले हुए
अवसर के अनुसार चले 
 जीवन  को बचाते हुए चले 
उन्होंने मूर्खो को भी सही कहा
और समझदारो को भी सही कहा 

जो समझ गया वह समझदार 
नहीं तो …..😉

 

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