Monday 26 October 2015

"कुछ लोग"

कुछ लोग कहते हैं मैं
छोटी छोटी कविताओ को
पड़कर शांत हो जाऊ
न अक्षर,न शब्द ,न रूप
मुझे शांत कर पाएंगे
भिखारी कहता है भीख
का इन्तजार ,तृप्त हो जाओगे
मेंढक कहता है ,पानी का इंतजार कर
तृष्णा समाप्त हो जाएगी
मक्खी कहती है किसी के
जूठन फेकने का इन्तेजार कर
भूख  मिट जाएगी
मेरी चाह तुम्हारी चाह में नहीं
मेरी भूख तुम्हारी जैसी नहीं
तृष्णा को न शांत करना
न तृप्त करना है
तृष्णा ही न रहे
ऐसा करना है|

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