Sunday 25 October 2015

"दुश्मन"


तुम्हे नहीं पता,मुझे तुम्हारी
कितनी जरुरत है,
आजतक तुमने मुझे मेरे होने का एहसास कराया 
मेरे कमजोर बिन्दुओं पर तुम्हारे ही निशान है,
मेरे भय को,पीड़ा को तुमने ही मुझे दिखाया 
मुझे नहीं लगता,तुम्हारे बिना मेरा जीवन है
जागरण का कारण हो तुम
सयमं का कारण हो तुम
मैं नहीं चाहता  की 
तुम नहीं रहो,
तुम हमेशा रहो
मेरे बुद्ध बनने तक।

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