Sunday 25 October 2015

"शत्रु"

ऐ मेरे विपरीत ध्रुव
तुम वो सब करते हो जो मैं नहीं 
चाहता हूँ
मैं समय का पाबंद,तुम समय के
 प्रति बेपरवाह हो,
जिन परिस्थियों से मैं डरता हूँ
तुम वहा निर्भय रहते हो|
जो रंग मुझे पसंद नहीं,तुम उसी
रंग मैं रंगे हो
जो संगीत मुझे कर्कश लगता है
वही तुम्हारे जीवन का संगीत है
जो भी मुझे नापसंद है वह तुममे
पोषित होता है
शत्रु तुम आशा देते हो 
जीवन की का ध्येय देते हो 
तुम्हारे बिना जीवन में नमक कहाँ!!!!


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