Saturday 24 October 2015

"जीवन और जीवन के बीच"

श्वास और श्वास के बीच
वह जगह जहाँ  जीवन नहीं होता
यदि हम वह खोज ले
पा ले, तो हम मन से मुक्त हो जायेंगे
बुद्ध वहीं स्थिर है
और जीवन मे होने वाली घटनाओ के साक्षी है|
बुद्ध देखते है, श्वास का आना और जाना
उन्हें वहा कुछ भी प्रभावित नहीं कर पाता है|
वहा ना म्रत्यु है न ही जीवन है
अकर्म म्रत्यु है और कर्म जीवन है
बुध्त्व है दोनों के बीच |

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