हर आंख में उम्मीद देखी
सपने देखे दिल में चाहत देखी
मन में बेचैनी देखी दुनिया जीत लेने का झूठा सपना देखा
झूठा होश देखा क्यों है
यह सब किसलिये है
क्यों माया के पीछे भागता मनुष्य परेशान है
आनंद दंड हो गया दुख जीवन हो गया
जीवन एक राह है, जिस पर हमें आनंद से चलना है |जो निरंतर बदल रहा है क्या हम उसे देख पा रहे है वो होश कहां है, वो शान्ति कहां है, वो सौन्दर्य कहां है जिसे हम खोज रहे है |भीतर की अकुशलता,भीतर का भय,भीतर की चिंता,भीतर का लालच हमारी बाहर की जिंदगी को प्रभावित करता है,अकुशलता बाहर नहीं भीतर होती है|भीतर की शांति हमे पारस पत्थर देती उसे हम जिसे भी छुआ दे वह सोना हो जाता है|-MANOJ PARMAR SIR
हर आंख में उम्मीद देखी
सपने देखे दिल में चाहत देखी
मन में बेचैनी देखी दुनिया जीत लेने का झूठा सपना देखा
झूठा होश देखा क्यों है
यह सब किसलिये है
क्यों माया के पीछे भागता मनुष्य परेशान है
आनंद दंड हो गया दुख जीवन हो गया
कहीं प्यार नहीं
कहीं करुणा नहीं
फिर क्यों रोता है
जा युद्ध कर
युद्ध भूमि में फेंका गया है तू
कोई नहीं अपना तेरा
जहां से आया है
वहीं था अपना
यहां इनमें नहीं मिलेगा
इनमें मत ढूंढ कोई सहारा
युद्ध कर
नीडर हो और मुस्कुराते हुए चल
यही युद्ध है तेरा
यही नीति है उसकी
जहां से तू आया हैं
तेरा अपना था वह
जहां से तू आया है।
मरने से पहले
पहन लो रंग-बिरंगे वस्त्र
खालो लाजवाब पकवान
घूम लो फिर लो
मौज कर लो।
लेकिन कुछ न जाने क्यों
कुछ लोग
रंग-बिरंगे वस्त्र त्याग देते हैं
उपवास में आनंदित होते हैं
एक ही जगह रुक जाते हैं
फिर भी सबसे ज्यादा मौज में रहते हैं।