रंगों के धागों में, जतन से बुना,
एक टेपेस्ट्री सामने आती है, एक दुर्लभ कहानी।
हर कतरा एक कहानी, हर रंग एक सपना,
जीवन के इस ताने-बाने में, एक जीवंत रचना।
भोर की पहली किरण के रेशमी धागों से,
गोधूलि की संध्या के लिए,
नरम और उज्ज्वल
बुनकर का हाथ,
धैर्यवान अनुग्रह के साथ,
समय और स्थान में बुने गए शिल्प क्षण।
हंसी के दृश्य, आंसुओं के क्षण,
गुजरते वर्षों के दौरान पैटर्न उभर कर सामने आते हैं।
हर सिलाई के साथ एक याद जुड़ती है,
दिल और दिमाग की इस टेपेस्ट्री में.
करघे के पार, जहां पैटर्न बहते हैं,
ख़ुशी के धागे और दुःख के धागे।
ताकत और सुंदरता, आपस में गुंथे हुए,
इस टेपेस्ट्री में जीवन परिभाषित है।
तो इस कृति को देखकर आश्चर्यचकित हो जाइए, साहसी और सुंदर दोनों,
कहानियों का एक कैनवास,
हर बुनाई में, हर तह में,
जीवन की एक टेपेस्ट्री,
आत्मा की अभिव्यक्ति।
रेवा सोसायटी के समस्त रचनाकारों को समर्पित। 🙏🙏🪷🪷✨✨