"समस्या "
जब विद्यालय खुले थे ,तब उम्मीद जागी थी
कि अब बारिश हो या न हो,फसल जरूर उगेगी ,
तलाब, नदियों और जमीन में पानी हो या ना हो ,
नलों मे पानी जरूर आएगा ,पेट्रोल जमीन मे हो या न हो ,
वाहन जरूर चलेंगे , हर रोज बिजली होगी
हर रोज जीवन महत्वपूर्ण होगा।
समस्या समस्या न होकर चुनौती होगी
पर यह क्या !
जब से विद्यालय बड़े , किताबें बड़ी
स्टेशनरी बड़ी , कचरा भी बड़ा ,
किसान आत्महत्या करने लगे ,
लोग भूख से मरने लगे ,पानी पेट्रोल से महँगा
और पेट्रोल खून से ,महँगा हो गया ,
बिजली अब आस बनकर रह गयी ,
और पेट्रोल खून से ,महँगा हो गया ,
बिजली अब आस बनकर रह गयी ,
नक्सलवाद बड़ा ,आंतकवाद बड़ा
और साथ ही साथ
किताबें भी बड़ी और विद्यालय भी बड़े
और डिग्री भी बड़ी ।
और साथ ही साथ
किताबें भी बड़ी और विद्यालय भी बड़े
और डिग्री भी बड़ी ।
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