"स्वागत है"
हमारे देखते देखते
बचपन जवान हो जायेगा
हम देखते रह जायेंगे
और वे पंख फड़फड़ाकर
उड़ जायेंगे ।
हम मन मसोसकर रह जायेंगे
की कुछ सीखा ना पाये
पर वे कब जीना सीख जायेंगे
हम जान ना पाएंगे
हमारी किताबे और ग्रन्थ
रखे रह जायेंगे और वे
कब उनकी गंध ले जायेंगे
हम जान ना पाएंगे
कल तो वे तुतलाकर बोलते थे
आज उनकी मिठास भरी बात सुनी
कल क्या कह जायेंगे पता नहीं
हमने उनको संतुलन सीखते देखा
वे कब दौड़ जायेंगे पता नहीं
कल उन्हें ठीक से बोलना न आता था
कब सिटी बजकर भाग जायेंगे पता नहीं
कल हर बात के लिए हमसे पूछते थे
कब हमे समझाने लग जायेंगे पता नहीं
हमे पता है ,तुम वापस शायद ही आओगे
पर तुम्हारे द्वारा चितरी दीवारे
हमे तुम्हारी याद दिलाएगी
तुम्हारा बचपन याद आएगा
और हमे फिर नई जिज्ञासा के,नये सपनो के
स्वागत के लिए तैयार कर देगा
स्वागत है ,स्वागत है ,स्वागत हैं
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