"मार्केटिंग"
मेरी टॉर्च से जो दिख रहा था
उसे ही सत्य मान रहा था
और तो और
दूसरो को भी टॉर्च से
वही रोशनी करने को कह रहा था
जहां मैं देख रहा था
सभी को कह रहा था
वही देखो जो मैं देख रहा हुँ
किताबें लिख रहा था
लेख लिख रहा था
कवितायेँ लिख रहा था
शोर मचा रहा था
देखो जो मैं देख रहा हुँ
जानो जो मैं जान रहा हूँ
सुनो जो मैं सुन रहा हूँ
आसमान में लालिमा छाने लगी
धीरे धीरे अँधेरा दूर होने लगा
रौशनी चारों और छाने लगी
सभी ने अपनी अपनी टॉर्च बुझा दी
मैंने अपनी टोर्च की और देखा
फिर सूरज की और देखा ,और सोचा
मैं रौशनी दिखा रहा था या
टोर्च बेच रहा था
अभी तक जो अँधेरा था
उसने मुझे घेर रखा था या
मेरी चेतना को।
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