Thursday 11 July 2024

टेपेस्ट्री

 रंगों के धागों में, जतन से बुना,

एक टेपेस्ट्री सामने आती है, एक दुर्लभ कहानी।

हर कतरा एक कहानी, हर रंग एक सपना,

जीवन के इस ताने-बाने में, एक जीवंत रचना।


भोर की पहली किरण के रेशमी धागों से,

गोधूलि की संध्या के लिए,

 नरम और उज्ज्वल 

 राखी का हाथ, 

धैर्यवान अनुग्रह के साथ,

समय और स्थान में बुने गए शिल्प क्षण।


हंसी के दृश्य, आंसुओं के क्षण,

गुजरते वर्षों के दौरान पैटर्न उभर कर सामने आते हैं।

हर सिलाई के साथ एक याद जुड़ती है,

दिल और दिमाग की इस टेपेस्ट्री में.


करघे के पार, जहां पैटर्न बहते हैं,

ख़ुशी के धागे और दुःख के धागे।

ताकत और सुंदरता, आपस में गुंथे हुए,

इस टेपेस्ट्री में जीवन परिभाषित है।


तो इस कृति को देखकर आश्चर्यचकित हो जाइए, साहसी और सुंदर दोनों,

कहानियों का एक कैनवास,

हर बुनाई में, हर तह में,

जीवन की एक टेपेस्ट्री, 

आत्मा की अभिव्यक्ति।



हमें होश चाहिए!!!!

 हमें होश चाहिए!!!!


पर हम बेहोशी से बाहर नहीं आना चाहते


 बेहोशी की पीड़ा !!!!!


 हमारे लिए सुख का छद्म वेश धारण कर लेती है।


 हम शुतुरमुर्ग की तरह अपने  गर्दन छुपाए रहना चाहते हैं ।


हम वास्तविकता से दूर रहना चाहते हैं।


 जैसे होश मिला तो वह सारे  सुख लुप्त हो जाएंगे जो हमें( जीवन घातक होते हुए भी) सुख दे रहे थे।