"स्थिर और चलायमान"
समय स्थिर रहा मैं बदलता रहा
पटरी स्थिर रही रेलगाड़ी दोड़ती रही
हर ध्वनी और द्रश्य मुझे डगमगाते रहे
द्रश्य बदलते रहे ध्वनि बदलती रही
मैंने सबकुछ जानना चाहा
सुनना चाहा
पर दूर से कुछ और ही सुनाई दिया और दिखाई दिया
मेरे सहयात्री जो शायद दूसरी बार
यात्रा कर रहे थे,
उन्होंने हँसकर कहा
यह वो नहीं जो तुम समझ रहे हो
तब समझ में आया सब समझ पर निर्भर है
बाहर स्थिर है
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